A Dakkhani in the North
Thursday, 14 June 2018
भट्टी के नाम (ईद का चांद)
इस तीरगी-ए-शब को रौशन करने वाले व्याध थे तुम,
भटकी कश्ती को साहिल दिखाने वाले क़ुत्ब थे तुम,
हमें ग़म है, और बेहद ख़ुशी भी, कि-
चंद ही दिनों में ईद का चांद बन जओगे तुम
1 comment:
Unknown
26 June 2018 at 20:51
बहोत खूब! एवढ उर्दू शिकलास कधी? शाबास.
विभामावशी
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बहोत खूब! एवढ उर्दू शिकलास कधी? शाबास.
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